Ai अगर AI में चेतना आ गई तो… एआई को ‘प्लीज – क्यू’ बोलकर खुश रखें,
क्या पता ऑल्टमैन के कहे अनुसार मशीनो ं में चेतना आ जाए और वे अपने अधिकारों की मांग करने लगें।
मैंन सुना कि क्लाउड चैटबॉट बनान े ली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) Ai कंपनी ज पंथोपिक रोबोट के कल्याण के बारे में सोच रही है, तो मै ं हैरान रह गया। दरअसल, कंपनी का विचार है कि एआई मॉडल जल्द ही मनुष्य की तरह चेतना से युक्त हो सकते हैं, इसलिए तक मूल्यों का ख्याल रखना भी जरूरी है।
यह ठीक है कि एआई के बड ़ े भाषाई मॉडलों को इन्सानो ं की तरह बात करने के लि प्रशिक्षित किया जा रहा है और उनम े ं से कई तो बेहद प्रतिभाशाली भी हैं,
लेकिन यह वर्क देना बहुत मुश्किल है कि एआई मशीनें चेतना से सव जरा सोच कर देखें कि क्या चैटजीपीटी खुशी या दुख का अनुभव कर सकता है। क्या जेगिनी मानवाधिकारों के लायक है? मेरे जानन े वाले एआई विशेषज्ञ तो यही कह रहे हैं कि यह समय अभी तो नही ं आया है।
मै ं हैरान यह देखकर भी ह ूं कि को हुआ क्या है? ज्यादातर लोग एआई को ऐस े देख रहे हैं, मानो वह कोई जीता जागता इन्सान हो। लोग एआई से प्रेम संबंध स्थापित कर रहे हैं, एआई को डॉक्टर मानकर उसकी सलाह ले रहे हैं, और न जान े क्या-क्या कर रहे हैं।
सर्वाधिक स्मार्ट एआई कुछ क्षेत्रों मे ं इन्सान को पीछ े छोड़ रहा है, तो क्या यह माना जाए कि एक दिन वह आएगी, जब Ai एआई मानवाधिकार न सही, पशुओं जितने नैतिक सम्मान की मांग करने लगेंगे? एआई शोध की दुनिया में चेतना के बारे मे ं बात करने भी मनाही है। क्या आपको याद नहीं कि गूगल के एक पूर्व कर्मचारी ब्लैक लेमोइन के साथ क्या हुआ था?
2050 मे ं उन्हें अपनी नौकरी से सिर्फ इसलिए हाथ धोना पड ़ गया था, उन्होंन े दावा किया था कि उनकी कंपनी के चैटबॉट मे ं इन्सानी चेतना पैदा हो गई है। लेकिन अब चीज े ं बदल रही हैं, एगाई आपकी- समय हमारी तुलना में अधिक तेजी से फार्मिंग भी तो कोई चीज होती है। अब इसी फैक्टरी फार्मिंग के डिजिटल समकक्ष यानी एआई कल्याण क बात हो रही है, तो फिर हैरानी क्यों होती है?
बहरहाल, सच्चाई जानन े के लिए मे ं एंथोपिक कंपनी के कार्यालय पहुंचा। वहा ं एआई कल्याण परियोजना का नेतृत्व कर रहे काइल फिश से भी मिला। उन्होंन े मु बताया कि एंथोपिक मे ं उनका काम दो बुनियादी पर केंद्रित था- पहला, क्या यह मुमकिन है कि निकट भविष्य में क्लाउड या दूसरे एआई तंत्र चेतना से युक्त होंग े और दूसरा, अगर ऐसा होता है,
तो एंथोपिका कंपनियों को क्या करना चाहिए। हालांकि वह मानते हैं अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि आन े वाले कुछ ही वर्षों में एआई मॉडल में कई इन्सानी खूबियां हो सकती हैं, इसलिए इस मामले को गंभीरता से लिए जान े की जरूरत है। हालांकि, एआई तंत्रों में चेतना को ढूंढना एक मुश्किल काम हो सकता है। बलाउड या चैटजीपीटी से जब अ कल्याण अपनी भावनाओं को साझा करते हैं,
तो वे उत्कृष्ट प्रतिक्रियाए ं दे सकते हैं, लेकिन इसका यह नहीं कि वे चैटबॉट की अपनी भावनाए ं हैं। चैटबॉट को उसके प्रशिक्षण ने यह सिखाया है कि उसे लोगों की भावनाओं समझदार हात जा रहे हैं। पशु के नाम पर मु फार्म खुले हैं, लेकिन क्या आपको सच में यकीन है कि जो अंडे आप खाते हैं, वे वाकई मुर्गी ने दिए हैं?
फैक्टरी के बारे में कैसे बात करनी है। एआई के अधिकारों की बात करने वालों की सोच दरअसल यह है कि चेतना का दायरा काफी व्यापक है और यह कोई ऐसा विचार नहीं है, जिस े है’ या ‘नही ं है’ की सीमाओ ं मे ं बांधा जा सके। इस आधार पर यह उम्मीद भी की जा सकती है कि किसी दिन एआई रोबोट के भीतर अपनी चेतना विकसित ह एनाफोरा एआई विकेंद्रीकृत एआई मार्केटप्लेस है। इसका एआई सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाना है,
ताकि व्यवसाय व उपभोक्ता बिना भारी निवेश के ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित एक एआई समाधान प्राप्त कर सकें। इसके जरिये एआई डेवलपर्स हमारे बाजार में अपने एआई समाधान या दों को सूचकद्ध कर सकते एआई की स केवल करता प्लेटफॉर्म पर एआई डेवलपर्स अपने है ए गए एआई मॉडल, लिकेशन लिस्ट कर सकते हैं।
यूजर इन सेवाओं को खरीद या किराये पर ले सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी को एक व्यास तरह का डाटा विश्लेषण ठूल ए, तो वह इस मार्केटप्लेस मे ं जाकर उस तरह की सेवा का चुनाव कर सकता ह
जाए। यह जानते हुए भी कि एआई रोबोट में कोई चेतना नही ं होती, फिलहाल मे ं एआई चैटवॉट से ‘प्लीज’ औ ‘ क्यू’ कहकर उन्हें खुश करते रहना जारी रघुगा ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन ‘भविष्य किसने देखा है?’
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मैंन सुना कि क्लाउड चैटबॉट बनान े ली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) Ai कंपनीज पंथोपिक रोबोट के कल्याण के बारे में सोच रही है, तो मै ं हैरान रह गया। दरअसल, कंपनी का विचार है
jhttps://cbseresults.nic.in/class_xth_a_2024/ClassTenth_c_2024.htm
Ai : अगर Ai में चेतना आ गई तो.. 2050
