दुनिया है सोशल मीडिया social media

सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का वो हिस्सा बन गया है, जिस े चाहें भी तो नजरअंदाज नहीं कर सकते। सुबह उठते ही मोबाइल स्क्रीन पर उंगलियां चलने लगती हैं- इंस्टाग्राम स्टोरी, फेसबुक पोस्ट, यूट्यूब पर कोई नया ब्लॉग और फिर व्हाट्सएप फॉरवर्ड ।
कभी आपन े सोचा है कि इस स्क्रीन के पीछ े की दुनिया कितनी असली है? असल बात तो यह है कि हम आज एक ऐसी आभासी दुनिया मे ं जी रहे हैं, जहां हर कोई ‘परफेक्ट’ दिखना चाहता है।
डॉ. प्रभात दीक्षित
खुला आकाश आज हम एक ऐसी आभासी दुनिया में जी रहे हैं, जहां हर कोई ‘परफेक्ट’ दिखना चाहता है। लेकिन इस ‘परफेक्शन’ के पीछ े कितनी सच्चाई है, यह कोई नहीं जानता । फोटोशॉप, फिल्टर, प्रीटेंडेड इमोशन्स, ये सब हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गए हैं।
लेकिन इस ‘परफेक्शन’ के पीछ े सच्चाई कितनी है, यह कोई नहीं जानता। फोटोशॉप, फिल्टर, प्रीटेंडेड इमोशन्स, ये सब अब हमारे सोशल व्यवहार का हिस्सा बन गए ह ैं और यही है फेक व्यवहार ।
हर तीसरा भारतीय किसी न किसी सोशल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय है। जब इतने लोग एक मंच पर हों तो वहां दिखावा, तुलना और फेकनेस का खेल भी अपने चरम पर होगा ही। जरा सोचिए, इंस्टाग्राम पर किसी दोस्त की यूरोप ट्रिप की तस्वीरें देखकर आपको जलन नही ं होगी? वो ब्रांडेड कपड़े, महंगी कॉफी और शानदार होटल देख लगता है कि उसकी लाइफ तो ‘ड्रीम लाइफ’ है।
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 36 प्रतिशत इंस्टा यूजर ‘फेक लाइफस्टाइल प्रेशर’ महसूस करते हैं, यानी वे खुद को सोशल मीडिया पर वैसा दिखाना चाहते हैं, जैस े वे असल में ह ै ं ही नहीं। यही ं से शुरू होती ह ै ‘फेक’ दौड ़ – फेक स्माइल से लेकर फेक एटीट्यूड, फेक रिलेशनशिप तक । लगातार दिखावा करते-करते इन्सान